सभी टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के नियोजित होने की संभावना पटना (एसएनबी)। राज्य के प्रारंभिक स्कूलों में 1 लाख 70 हजार शिक्षकों का नियोजन होगा। इसमें 46 हजार माध्यमिक स्कूलों में तथा करीब 1 लाख 24 हजार प्राथमिक स्कूलों में बहाली होगी। इन रिक्तियों के आधार पर सभी टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के नियोजन हो जाने की संभावना है। संस्कृत शिक्षकों का पद केवल मध्य विद्यालयों वर्ग छह से आठ के लिए दिये जायेंगे। िफ ल्ा हा ल्ा शिक्षा विभाग ने एक अगस्त से 30 अगस्त तक आवेदन जमा करने की तिथि तय की है। इधर माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्कूलों में नियोजन कैलेन्डर कल मंगलवार को जारी होगा। टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों में 147984 अभ्यर्थियों की संख्या रही। जिसमें 110649 पुरूष तथा 37335 महिला अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए हैं। इस परीक्षा में प्रथम एवं द्वितीय पत्रों को मिलाकर कुल 2680337 अभ्यर्थी सम्मिलित हुए हैं। शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव एवं प्रवक्ता रामशरणागत सिंह ने बताया कि छह जुलाई को होने वाली बैठक में जिलावार रिक्तियों की सूची जारी कर दी जायेगी। इस बैठक में नियोजन प्रक्रिया से संबंधित दिशा-निर्देश भी जारी किया जायेगा। उन्होंने बताया कि 20 जुलाई के बाद टीईटी और एसटीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र वितरण का कार्य होगा। उन्होंने बताया कि एसटीईटी विशेष परीक्षा के परिणाम भी 16 जुलाई तक आ जायेंगे। आवेदन जमा नियोजन इकाईयों में होगा। इस कैलेन्डर पर मंत्री और विभागीय प्रधान सचिव का अनुमोदन हो चुका है। प्रवक्ता ने बताया कि जिला के विभिन्न नियोजन इकाईयों में रिक्त पदों एवं विभागों द्वारा उपलब्ध कराये गये पदों को जिला पदाधिकारी के द्वारा रोस्टर क्लीयर कराकर विभिन्न नियोजन इकाईयों को समय पर वितरित कर दिया जायेगा। पदों का वितरण आवश्यकतानुसार किया जायेगा। टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों से प्राथमिक कक्षाओं (वर्ग एक से पांच) के लिए अलग तथा उच्च प्राथमिक कक्षाओं (वर्ग छह से वर्ग आठ) के लिए अलग आवेदन लिये जायेंगे। प्राथमिक कक्षाओं के लिए निम्नांकित तीन विषयों के शिक्षक पद के नियोजन हेतु शैक्षणिक योग्यता होगी। सामान्य विषय के शिक्षक के लिए इंटरमीडिएट,उर्दू भाषा के शिक्षक के लिए बिहार मदरसा शिक्षा बोर्ड द्वारा प्रदत्त मौलवी अथवा उर्दू योग्यताधारी अभ्यर्थी को सौ अंकों के उर्दू में इंटरमीडिएट उत्तीर्ण तथा बांग्ला भाषा के शिक्षक के लिए शैक्षणिक योग्यता सौ अंकों का बांग्ला भाषा में उत्तीर्ण रखा गया है। इसी प्रकार उच्च प्राथमिक कक्षाओं (मध्य विद्यालय) के लिए आवश्यकतानुसार स्नातक गणित एवं विज्ञान के शिक्षक के लिए गणित,भौतिकी,रसायन तथा रसायन एवं जीव विज्ञान रखा गया है। source: samaylive.com |
Tuesday, July 3, 2012
नियुक्त किये जायेंगे 1.70 लाख शिक्षक
Friday, May 18, 2012
12 साल के लड़के का कमाल, IIT में बजाया डंका
पटना। जयपुर में पढ़ रहे बिहार के रहने वाले एक स्टूडेंट ने महज 12 साल की उम्र में IIT JEE पास
कर अनोखा रेकॉर्ड बनाया है। यह कमाल किया है बिहार के भोजपुर के बखोरापुर
के सिद्धनाथ सिंह के बेटे सत्यम कुमार ने। सत्यम को 8137वां रैंक मिली है।
इससे पहले 2010 में दिल्ली के सहल कौशिक ने 14 साल की उम्र में IIT JEE एग्जाम पास किया था। सत्यम की डेट ऑफ बर्थ 20 जुलाई 1999 है। उसके पिता सिद्धनाथ सिंह किसान और मां प्रमिला देवी हाउस वाइफ हैं।
सत्यम राजस्थान के कोटा में अपने चाचा रामपुकार सिंह के साथ रहकर पढ़ रहे हैं। सत्यम ने राजस्थान बोर्ड से आठवीं, 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास की। सत्यम के पिता ने बिहार बोर्ड से एग्जाम में बैठने की इजाजत मांगी थी, लेकिन कम उम्र के कारण बोर्ड ने इनकार कर दिया।
सत्यम को राजस्थान डायट ने आठ साल की उम्र में आठवीं बोर्ड परीक्षा में बैठने की इजाजत दी। सत्यम अपनी रैंक से संतुष्ट नहीं हैं। सत्यम के मुताबिक वह इस बार एडमिशन नहीं लेंगे।
इससे पहले 2010 में दिल्ली के सहल कौशिक ने 14 साल की उम्र में IIT JEE एग्जाम पास किया था। सत्यम की डेट ऑफ बर्थ 20 जुलाई 1999 है। उसके पिता सिद्धनाथ सिंह किसान और मां प्रमिला देवी हाउस वाइफ हैं।
सत्यम राजस्थान के कोटा में अपने चाचा रामपुकार सिंह के साथ रहकर पढ़ रहे हैं। सत्यम ने राजस्थान बोर्ड से आठवीं, 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास की। सत्यम के पिता ने बिहार बोर्ड से एग्जाम में बैठने की इजाजत मांगी थी, लेकिन कम उम्र के कारण बोर्ड ने इनकार कर दिया।
सत्यम को राजस्थान डायट ने आठ साल की उम्र में आठवीं बोर्ड परीक्षा में बैठने की इजाजत दी। सत्यम अपनी रैंक से संतुष्ट नहीं हैं। सत्यम के मुताबिक वह इस बार एडमिशन नहीं लेंगे।
source: navbharattimes.com
Saturday, May 5, 2012
चारा घोटाला मामले में 34 लोगों को सजा
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक अदालत ने लाखों रुपयों के चारा घोटाला
मामले में शनिवार को 34 लोगों को एक से छह साल तक के कारावास की सजा
सुनाई |
डी.सी. रे की सीबीआई अदालन ने दोषियों पर 10,000 से लेकर 300,000 रुपये तक का जुर्माना भी लगाया है. यह मामला 80 के दशक में रांची में दोरांदा राजकोष से अवैध तरीके से छह करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि निकाले जाने से सम्बंधित है |
जिन 34 लोगों को सजा सुनाई गई है, उनमें से 12 पशुपालन विभाग से हैं और 16 चारे के आपूर्तिकर्ता हैं. मामले में 54 अभियुक्त थे. इनमें से 17 की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है. एक ने सीबीआई का गवाह बनना स्वीकार कर लिया जबकि दो भगोड़े हैं |
सीबीआई की एक अदालत ने चारा घोटाले से सम्बंधित एक और मामले में गुरुवार को 69 लोगों को दोषी करार दिया था |
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव व जगन्नाथ मिश्र भी घोटाले से सम्बंधित पांच मामलों में अभियुक्त हैं |
रांची की सीबीआई अदालतों में उनकी सुनवाई जारी है. मामले में 1997 में यादव के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ गया था |
90 के दशक के अविभाजित बिहार में चारा घोटाला उस वक्त सुर्खियों में छा गया था, जब अधिकारियों व राजनेताओं पर पशुओं का चारा खरीदने के नाम पर जनता के पैसे का गैरकानूनी तरीके से इस्तेमाल करने का आरोप लगा |
डी.सी. रे की सीबीआई अदालन ने दोषियों पर 10,000 से लेकर 300,000 रुपये तक का जुर्माना भी लगाया है. यह मामला 80 के दशक में रांची में दोरांदा राजकोष से अवैध तरीके से छह करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि निकाले जाने से सम्बंधित है |
जिन 34 लोगों को सजा सुनाई गई है, उनमें से 12 पशुपालन विभाग से हैं और 16 चारे के आपूर्तिकर्ता हैं. मामले में 54 अभियुक्त थे. इनमें से 17 की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है. एक ने सीबीआई का गवाह बनना स्वीकार कर लिया जबकि दो भगोड़े हैं |
सीबीआई की एक अदालत ने चारा घोटाले से सम्बंधित एक और मामले में गुरुवार को 69 लोगों को दोषी करार दिया था |
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव व जगन्नाथ मिश्र भी घोटाले से सम्बंधित पांच मामलों में अभियुक्त हैं |
रांची की सीबीआई अदालतों में उनकी सुनवाई जारी है. मामले में 1997 में यादव के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ गया था |
90 के दशक के अविभाजित बिहार में चारा घोटाला उस वक्त सुर्खियों में छा गया था, जब अधिकारियों व राजनेताओं पर पशुओं का चारा खरीदने के नाम पर जनता के पैसे का गैरकानूनी तरीके से इस्तेमाल करने का आरोप लगा |
Friday, October 28, 2011
करोड़पति बनने के बाद आईएएस अफसर बनना चाहते हैं सुशील
सुशील कुमार टेलिविजन शो ' कौन बनेगा करोड़पति - 5' के जरिए पांच करोड़ जीतने के बाद घर बनाने के साथ ही बड़े और छोटे भाई को बिजनेस में सेटल करना चाहते हैं। इसके अलावा वह सिविल सर्विस की तैयारी करके अपना करियर भी संवारना चाहते हैं। पैसे की कमी की वजह से वह अपना यह सपना अभी तक पूरा नहीं कर पाए।
27 साल के सुशील ने मुंबई से फोन पर कहा, 'सब कुछ एकदम अलग दिख रहा है। मैं अब भी एहसासों में गोते लगा रहा हूं। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं पांच करोड़ रुपये जीतूंगा।'
यह केबीसी में सुशील की दूसरी कोशिश थी। सुशील शो में 25 लाख रुपये जीतने के मकसद के साथ आए थे। उन्होंने इससे 20 गुना ज्यादा रकम जीती।
उन्होंने कहा, 'मैं शो में यह सोचकर आया था कि मैं अपने साथ कम से कम 25 लाख रुपये घर ले जाऊंगा लेकिन ईश्वर की कृपा से मैंने पांच करोड़ रुपए जीते। टैक्स काट कर मुझे कम से कम 3.5 करोड़ रुपये मिलेंगे, जो मेरे लिए पर्याप्त हैं।'
सुशील कुमार बिहार के पूर्वी चंपारण के रहने वाले हैं। वह एक कम्प्यूटर ऑपरेटर के तौर पर काम करते थे इसलिए यह शो जीतना उनकी जिंदगी की एक बड़ी घटना है।
उन्होंने बताया, 'जब से मैं जीता हूं तब से मेरे पास लगातार परिवारवालों और दोस्तों के फोन आ रहे हैं। यहां तक कि वे लोग भी बधाई दे रहे हैं जिनसे मैं कभी-कभार ही मिलता था। यह एक अद्भुत एहसास है। मैंने शो के लिए खास तैयारी नहीं की थी। मुझे इस बात का अनुमान था कि वहां क्या पूछा जा सकता है और मेरे पास जो किताबें थीं उन्हें पढ़कर थोड़ी-बहुत तैयारी की थी।'
सुशील कुमार शादीशुदा हैं और वह पांच भतीजे-भतीजियों वाले एक बड़े संयुक्त परिवार में रहते हैं।
उन्होंने बताया, 'सबसे पहले मैं नया घर बनवाऊंगा। मेरा छोटा भाई कपड़े की दुकान पर सेल्समैन का काम करता है और मुश्किल से 1,500 रुपये महीना कमा पाता है। मैं उसे नया बिजनेस शुरू करने में मदद करूंगा ताकि उसके जीवन में स्थायित्व आ सके। बड़े भाई को एक नई दुकान खोलने में मदद करने की भी योजना है।'
मनोविज्ञान में ग्रैजुएट सुशील कुमार सिविल सर्विसेज एग्जाम में बैठना चाहते थे लेकिन पैसे की कमी के चलते उनका यह सपना पूरा न हो सका।
उन्होंने कहा, 'अब मेरे पास पर्याप्त पैसा है। मैं अपने परिवार की भी मदद कर सकता हूं और मेरा सपना भी पूरा कर सकता हूं। मैं दिल्ली जाकर परीक्षा की तैयारी करने की योजना बना रहा हूं।'
source : navbharattimes
Tuesday, October 25, 2011
बिहार के सुशील बने केबीसी के करोड़पति, जीत लिए पूरे 5 करोड़
टीवी के सबसे पॉपुलर डेली शो 'कौन बनेगा करोड़पति' के पांचवें संस्करण में बिहार के सुशील कुमार ने पांच करोड़ रुपये का इनाम जीत लिया है इस तरह से वह केबीसी 5 में अब तक सबसे ज्यादा नकद जीतने वाले सबसे पहले प्रतिभागी बन गये हैं।
सुशील कुमार पेशे से कम्प्यूटर ऑपरेटर और शिक्षक इनकी मासिक आय प्रतिमाह 6,000 रुपये है। लेकिन अब इनका सारा सपना पूरा हो जाएगा। इन्होंने बेहद ही समझदारी और सूझबूझ के साथ सारे पड़ाव पार कर इतनी बड़ी धन राशी अपने नाम कर ली है।
केबीसी की यह कड़ी दो नवम्बर को प्रसारित होगी। हम आपको बता दें कि केबीसी के पहले संस्करण में मुंबई के हर्षवर्धन नवाठे ने सबसे पहले करोड़पति बने थे इन्होंने एक करोड़ रुपये जीता था। इनके बाद 2004 में झारखण्ड के राहत तसलीम ने एक करोड़ रुपये का इनाम जीता था।
Saturday, September 24, 2011
गया में श्राद्ध करना श्रेष्ठ क्यों माना जाता है?
- श्राद्ध सिखाते हैं अपनों को याद रखना
- यहां करें श्राद्ध, होगा पितरों का उद्धार
- यहां श्राद्ध करने से पितरों को स्वर्ग मिलता है
- जानिए, कितने प्रकार के होते हैं श्राद्ध
- जन्म-मरण से मुक्ति दिलाता है यहां किया श्राद्ध
पिण्डदान व
श्राद्ध के लिए
बिहार में स्थित
गया तीर्थ को
सर्वश्रेष्ठ माना गया
है। पितृ पक्ष
में यहां पिण्डदान व
श्राद्ध के लिए
लोगों की भीड़
उमड़ती है। ऐसी
मान्यता है कि
जिसका भी पिण्डदान व
श्राद्ध यहां किया
जाता है उसे
मोक्ष की प्राप्ति हो
जाती है। गया
तीर्थ को तर्पण,
श्राद्ध व पिण्डदान के
लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों
माना जाता है
इसके पीछे एक
धार्मिक कथा है।
अखिल भारतीय ज्योतिष परिषद
के राष्ट्रीय महासचिव आचार्य
कृष्णदत्त शर्मा के
अनुसार वह कथा
इस प्रकार है-
प्राचीन काल में गयासुर नामक एक शक्तिशाली असुर भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। उसने अपनी तपस्या से देवताओं को चिंतित कर रखा था। उनकी प्रार्थना पर विष्णु व अन्य समस्त देवता गयासुर की तपस्या भंग करने उसके पास पहुंचे और वरदान मांगने के लिए कहा। गयासुर ने स्वयं को देवी-देवताओं से भी अधिक पवित्र होने का वरदान मांगा।
वरदान मिलते ही स्थिति यह हो गई कि उसे देख या छू लेने मात्र से ही घोर पापी भी स्वर्ग में जाने लगे। यह देखकर धर्मराज भी चिंतित हो गए। इस समस्या से निपटने के लिए देवताओं ने छलपूर्वक एक यज्ञ के नाम पर गयासुर का संपूर्ण शरीर मांग लिया। गयासुर अपना शरीर देने के लिए उत्तर की तरफ पांव और दक्षिण की ओर मुख करके लेट गया।
मान्यता है कि उसका शरीर पांच कोस में फैला हुआ था इसलिए उस पांच कोस के भूखण्ड का नाम गया पड़ गया। गयासुर के पुण्य प्रभाव से ही वह स्थान तीर्थ के रूप में स्थापित हो गया। गया में पहले विविधि नामों से 360 वेदियां थी लेकिन उनमें से अब केवल 48 ही शेष बची हैं। आमतौर पर इन्हीं वेदियों पर विष्णुपद मंदिर, फल्गु नदी के किनारे अक्षयवट पर पिण्डदान करनी जरुरी समझा जाता है।
इसके अतिरिक्त नौकुट, ब्रह्योनी, वैतरणी, मंगलागौरी, सीताकुंड, रामकुंड, नागकुंड, पांडुशिला, रामशिला, प्रेतशिला व कागबलि आदि भी पिंडदान के प्रमुख स्थल हैं।
प्राचीन काल में गयासुर नामक एक शक्तिशाली असुर भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। उसने अपनी तपस्या से देवताओं को चिंतित कर रखा था। उनकी प्रार्थना पर विष्णु व अन्य समस्त देवता गयासुर की तपस्या भंग करने उसके पास पहुंचे और वरदान मांगने के लिए कहा। गयासुर ने स्वयं को देवी-देवताओं से भी अधिक पवित्र होने का वरदान मांगा।
वरदान मिलते ही स्थिति यह हो गई कि उसे देख या छू लेने मात्र से ही घोर पापी भी स्वर्ग में जाने लगे। यह देखकर धर्मराज भी चिंतित हो गए। इस समस्या से निपटने के लिए देवताओं ने छलपूर्वक एक यज्ञ के नाम पर गयासुर का संपूर्ण शरीर मांग लिया। गयासुर अपना शरीर देने के लिए उत्तर की तरफ पांव और दक्षिण की ओर मुख करके लेट गया।
मान्यता है कि उसका शरीर पांच कोस में फैला हुआ था इसलिए उस पांच कोस के भूखण्ड का नाम गया पड़ गया। गयासुर के पुण्य प्रभाव से ही वह स्थान तीर्थ के रूप में स्थापित हो गया। गया में पहले विविधि नामों से 360 वेदियां थी लेकिन उनमें से अब केवल 48 ही शेष बची हैं। आमतौर पर इन्हीं वेदियों पर विष्णुपद मंदिर, फल्गु नदी के किनारे अक्षयवट पर पिण्डदान करनी जरुरी समझा जाता है।
इसके अतिरिक्त नौकुट, ब्रह्योनी, वैतरणी, मंगलागौरी, सीताकुंड, रामकुंड, नागकुंड, पांडुशिला, रामशिला, प्रेतशिला व कागबलि आदि भी पिंडदान के प्रमुख स्थल हैं।
source: dainikbhaskar
Saturday, June 18, 2011
यह फागुनी हवा - फणीश्वर नाथ रेणु
यह फागुनी हवा |
मेरे दर्द की दवा |
ले आई...ई...ई...ई |
मेरे दर्द की दवा! |
आंगन ऽ बोले कागा |
पिछवाड़े कूकती कोयलिया |
मुझे दिल से दुआ देती आई |
कारी कोयलिया-या |
मेरे दर्द की दवा |
ले के आई-ई-दर्द की दवा! |
वन-वन |
गुन-गुन |
बोले भौंरा |
मेरे अंग-अंग झनन |
बोले मृदंग मन-- |
मीठी मुरलिया! |
यह फागुनी हवा |
मेरे दर्द की दवा ले के आई |
कारी कोयलिया! |
अग-जग अंगड़ाई लेकर जागा |
भागा भय-भरम का भूत |
दूत नूतन युग का आया |
गाता गीत नित्य नया |
यह फागुनी हवा...! |
(रचनाकाल : 1956 तथा 'सारिका' के 1 अप्रैल 1979 के अंक में प्रकाशित) |
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